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अनुष्ठान व निवारण

श्री गणपति अनुष्ठान

किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की वंदना की जाती है। भगवान गणेश बुद्धि (ज्ञान), रिद्धि-सिद्धि (समृद्धि-सफलता) के देवता है। व्यक्ति के जीवन में आ रही कोई भी बाधा भगवान गणेश की पूजा करने से दूर हो जाती है।


कालसर्प पूजा

सामान्यतः जन्म कुंडली के बाकी सात ग्रह राहु और केतु के मध्य स्थित हो जाते हैं तो उस स्थिति को "काल सर्प योग" कहते हैं।




मंगल भात पूजा

मंगल ग्रह यदि जन्मकुंडली के लग्न, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव, द्वादश भाव में हो तो कुंडली को मांगलिक माना जाता है, ऐसा होने पर ऐसे जातक का विवाह भी मांगलिक स्त्री या पुरुष से ही करना चाहिए|


पितृ दोष

पितृदोष का सबसे प्राचीन स्थान सिद्धवट घाट है यहीं पर पितरों को मुक्ति प्रदान होती है इसलिए पित्र दोष सिद्धवट घाट पर होता है|


महामृत्युंजय जाप

शास्त्रों और पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय भगवान शिव को खुश करने का मंत्र है। इसके प्रभाव से इंसान मौत के मुंह में जाते-जाते बच जाता है।


अर्क/कुंभ विवाह

अर्क विवाह से पुरुषों के विवाह में आ रहे समस्त प्रकार के दोषो से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है| यदि लड़के अथवा लड़की की कुंडली में सप्तम भाव अथवा बारहवां भाव क्रूर ग्रहों से पीडि़त हो अथवा शुक्र, सूर्य, सप्तमेष अथवा द्वादशेष, शनि से आक्रांत हों।


रुद्राभिषेक पूजा

भगवान शिव का एक नाम है 'रूद्र' भगवान शिव के रूद्र रूप का अभिषेक ही रुद्राभिषेक है। हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शिव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण होती हैं।



चाण्डाल दोष

बृहस्पति और राहु जब साथ होते हैं या फिर एक दूसरे को किन्ही भी भावो में बैठ कर देखते हो, तो गुरू चाण्डाल योग निर्माण होता है।




ग्रहण योग

चंद्र-राहु या सूर्य-राहु की युति को ग्रहण योग कहते हैं। यदि बुध की युति राहु के साथ है तब यह जड़त्व योग है।




नवग्रह जाप

चंद्र मंत्र: ओम श्रां श्रीं श्रौं सः सोमाय नमः । मंगल मंत्र: ओम क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: । बुध मंत्र: ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः । गुरु (गुरुवार के उपाय) मंत्र: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।


संतान गोपाल अनुष्ठान

ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने॥ प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:॥






नव चंडी एवं शतचंडी अनुष्ठान

दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है, उसे शतचंडी यज्ञ बोला जाता है।॥





भैरव हवन रात्रि कालीन

स्वर्णाकर्षण भैरव काल भैरव का सात्त्विक रूप हैं, जिनकी पूजा धन प्राप्ति के लिए की जाती है, यह हमेशा पाताल में रहते हैं| ठीक वैसे ही जैसे सोना धरती के गर्भ में होता है, इनका प्रिय प्रसाद दूध और मेवा है| इनके मदिरों में मदिरा-मांस सख्त वर्जित है|


बगलामुखी अनुष्ठान

माँ राज राजेश्वरी बगलामुखी पूजन के द्वारा सभी शत्रु पर विजय एवं काम क्रोध आदि पर नियंत्रण भगवती आराधना अनुष्ठान जाप के द्वारा राज्य धन व्यापार कार्यक्षेत्र मैं यश विजय लाभ आदि प्राप्ति होती है ।



तंत्र अनुष्ठान

तंत्र एक प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया से शरीर और मन शुद्ध होता है। और ईश्वर का अनुभव करने में सहायता होती है। तंत्र की प्रक्रिया से हम भौतिक और आध्यात्मिक जीवन की हर समस्या का हल निकाल सकते हैं।



बगलामुखी जाप अनुष्ठान

बड़ा से बड़ा बुरा समय भी माँ बगलामुखी के जाप से समाप्त हो जाता है माँ की कृपा प्राप्त होती है |आपके कल्याण और संकटों से मुक्ति हेतु माँ बगलामुखी के कल्याणकारी मन्त्रों का सवा लाख जाप पूर्ण विधि विधान से 11 दिन में पूरा किया जाता है |


बगलामुखी हवन

माता बगलमुखी की अराधना करने से सभी तरह की बाधा और संकट दूर हो जाता है। इसके साथ ही शुत्रओं पर भी विजय मिलती है। माता बगलामुखी की उपासना शत्रुनाश, वाक-सिद्धि, वाद-विवाद में विजय के लिए की जाती है।



माँ बगलामुखी पूजन

विद्वेषण का प्रयोग अपने शत्रुओं को आपस में लड़वाने हेतु किया जाता है। जब संख्या में शत्रु अधिक हों तो विद्वेषण का प्रयोग कर हम उनको आपस में लड़वा कर अपनी परेशानी दूर कर सकते हैं।



विधि विधान से पूजन सम्पन्न करवाने हेतु

संपर्क करे - पंडित प्रवीण शुक्ल जी (+91-9009893690)

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